Wednesday 15 October 2014

न जाने कलम क्यों जाती थम!

कर अवलोकन इतिहास सृष्टि का, 
दैहिक, दैविक, भौतिक दृष्टि का. 
काल, कल्प, कुल गाथा अनंत की,
सार, असार,सुर, असुर और संत की.
जीव जगत स्थावर जंगम
तत त्वम असि एवम सो अहम.

न जाने कलम क्यों जाती थम!

मधुर मिलन कल, आज विरह है,
मृदुल आनंद, अब दुख दुःसह है.
जीते जय, आज पाये पराजय,
कल निर्मित, अब आज हुआ क्षय.
पहले प्रकाश, अब पसरा है तम,
खुशियों को फिर घेरे हैं गम.

न जाने, कलम क्यों जाती थम!

नदियां पर्वत से उतर-उतर,
मिलते कितने झरने झर-झर.
जल-प्रवाह का राग अमर,
कभी किलकारी, कभी कातर स्वर.
उपसंहार सागर संगम,
क्या, यहीं जीवन का आगम-निगम?

न जाने कलम क्यों जाती थम!

जाड़ा, गर्मी और बरसात,
दिव्य दिवस, फिर काली रात.
जड़- चेतन कण-कण गतिमान,
जीव-जगत का यहीं ज्ञान.
सृष्टि-विनाश अनवरत, ये क्रम,
प्रकृति-पुरुष का है लीला भ्रम.


अब जाने, कलम क्यों जाती थम.

24 comments:

  1. NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    +1
    tham sakti hai magar zuk nahi sakti,
    akhri sans tak ruk nahi sakti,
    usne muzko janam diya hai,
    uska ye upkar hai,
    mai chahun ya na chahun,
    muzpar uska adhikar hai
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    Oct 15, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    +Nitu Thakur वाह! बहुत आभार आपका!!!
    Oct 15, 2017
    NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    +1
    +Vishwa Mohan ji aap jaise kavi ke mukh se wah wah nikle isse behtar kya ho sakta hi waise agar aap meri community me bhi post kare to muze khushi hogi ehsaas meri kalam se
    Oct 15, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Nitu Thakur पक्का! अपनी कम्युनिटी का लिंक दें. धन्यवाद!
    Oct 15, 2017
    NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    +Vishwa Mohan EHSAAS- meri kalam se
    EHSAAS- meri kalam se
    EHSAAS- meri kalam se
    Google+ Community
    Oct 15, 2017
    Kusum Kothari's profile photo
    Kusum Kothari
    Moderator
    +1
    जी बहुत सुंदर!!
    सृष्टि के आदि से उपसंहार तक पूर्ण चित्र खिंचती आगम निगम का पुरा विस्तार समेटे भव्य रचना,विविध अंलकारों का सार्थक प्रयोग आपकी रचनाओं से कई नये शब्दों और कई भुले बिसरे शब्दों से पुनः परिचय होता है।
    शुभ दिवस।
    Translate
    Oct 16, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +Kusum Kothari सादर आभार!!!

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार 28 नवम्बर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  3. वाह वाह लाजबाव सृजन

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  4. आदरणीय सर, सादर चरण स्पर्श। बहुत दिनों बाद आज आपके ब्लॉग पर आना हुआ। बहुत ही सुंदर रचना पढ़ कर मन आनंदित है। आध्यात्मिक भावों से भरी हुई रचना। पुनः प्रणाम, एक अनयरोध और, मैं ने एक नया ब्लॉग आरम्भ किया है, चल मेरी डायरी, यह ब्लॉग मेरी कृतज्ञता डायरी का हिस्सा है। आप कृपया उस ओर मेरे दोनों लेख पढ़ें और अपना आशीष दें। काव्यतरंगिनी भी चालू है, वह कविता और कहानियों के लिए है।

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  5. अद्भुत ,अत्यंत सारगर्भित भाव लिए सराहनीय सृजन।
    सादर प्रणाम।

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  6. अब जाने, कलम क्यों जाती थम.
    सृष्टि और जीवन का सार समझने के बाद क्या जाने अब कलम। इसीलिए अब गयी थम ।
    वाह!!!!
    अद्भुत अप्रतिम एवं लाजवाब ।

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  7. जीवन के रहस्यों पर गहन दृष्टिपात करती रचना।जीवजगत के इन प्रश्नों का उत्तर हर संवेदनशील मन ढूंढता है।यही जिज्ञासा सृजन का आधार है! सादर 🙏

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  8. पुनः पढ़ कर भी वही आकर्षन।
    अप्रतिम सृजन।

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  9. वाह...अद्भुत लेखन

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  10. बेहतरीन रचना

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  11. मधुर मिलन कल, आज विरह है,
    मृदुल आनंद, अब दुख दुःसह है.
    जीते जय, आज पाये पराजय,
    कल निर्मित, अब आज हुआ क्षय.
    पहले प्रकाश, अब पसरा है तम,
    खुशियों को फिर घेरे हैं गम...
    जीवन संदर्भ पर गहन चिंतनपूर्ण रचना ।

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